India’s Oil Import Policy- क्या भारत को Russian oil खरीदने पर US के secondary sanctions से डरना चाहिए? Petroleum and Natural Gas Minister Hardeep Singh Puri ने तो साफ कह दिया है कि “नो प्रेशर”, India अपने तेल की जरूरतें पूरी करने के लिए किसी पर निर्भर नहीं! हाल ही में Donald Trump ने रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 100% tariffs और secondary sanctions लगाने की धमकी दी थी, जिसमें भारत का नाम भी लिया गया था। वहीं NATO ने भी double standards दिखाते हुए भारत को रूसी तेल के trade को कम करने को कहा था। लेकिन भारत ने हमेशा की तरह अपनी संप्रभुता (sovereignty) और अपने लोगों के हितों को priority दी है।
“वी विल बाय फ्रॉम व्हेयरएवर वी हैव टू”: पूरी का ऐलान
Urja Varta 2025 conference में बोलते हुए Hardeep Singh Puri ने बिल्कुल क्लियर कर दिया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए कोई compromise नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “We will buy from wherever we have to because the Prime Minister’s commitment is to the Indian consumer.” उनका ये बयान उस सोच को दर्शाता है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में नहीं झुकेगा और अपने citizens के लिए uninterrupted fuel availability सुनिश्चित करेगा। Puri ने ये भी बताया कि भारत अब 40 देशों से तेल import करता है, जबकि 2007 में यह आंकड़ा सिर्फ 27 था। यह diversification हमें किसी एक supplier पर निर्भरता से बचाता है। आज, Russia भारत के कुल तेल imports का लगभग 35-40% है, जो 2022 से पहले 2% से भी कम था। यह एक बड़ा shift है और भारत की energy strategy का proof है।
ग्लोबल उठापटक और भारत की दो टूक – India’s Oil Import Policy

Donald Trump का 50-दिनों का ultimatum कि अगर Russia और Ukraine के बीच peace deal नहीं हुई, तो रूसी export पर 100% tariff लगेगा और buyers पर secondary sanctions लगेंगे, यह एक बड़ा diplomatic challenge था। लेकिन भारत ने इसका सामना मजबूती से किया। Puri ने कहा कि नए suppliers जैसे Guyana, और Brazil व Canada से बढ़ी हुई output, वैकल्पिक options के रूप में तैयार हैं।
इसके अलावा, India की Ministry of External Affairs (MEA) और Puri दोनों ने NATO और पश्चिमी देशों के “double standards” पर सवाल उठाए हैं। जब Western states खुद sanctioned या controversial partners से बड़े पैमाने पर energy trade कर रहे हैं, तो भारत पर Russian oil कम करने का दबाव क्यों? Puri ने साफ किया कि Ukraine युद्ध के दौरान भी भारत ने international law (price caps के अंदर) के तहत रूसी तेल खरीदा, जिससे global oil prices को skyrocket होने से रोकने में मदद मिली।
घरेलू खोज और भविष्य की तैयारी
भारत सिर्फ external sources पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि domestic oil deposits की exploration भी तेजी से कर रहा है, खासकर Andamans जैसे क्षेत्रों में। सरकार ने oil and gas sector में reforms भी किए हैं, पुराने undeveloped blocks को cancel किया है ताकि serious investment आ सके।
क्या भारत के पास पर्याप्त तेल होगा?
Hardeep Puri ने विश्वास जताया कि oil imports के sources को record number तक diversify करने और domestic exploration efforts से भारत supply shocks या geopolitical turbulence का सामना करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी hint दिया कि अगर crude prices stable रहे तो domestic fuel prices भी जल्द कम हो सकते हैं।
भारत का ये stance उसकी assertiveness, diversification और consumer interests पर focus को दिखाता है। यह clear है कि भारत global politics में किसी भी external pressure या hypocrisy के आगे झुकने को तैयार नहीं है।
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