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UIT RGPV Shivpuri का कड़वा सच: क्या सरकारी कॉलेज के नाम पर छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़?

On: June 10, 2025 11:42 AM
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UIT RGPV Shivpuri का कड़वा सच: क्या सरकारी कॉलेज के नाम पर छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़?

शिवपुरी, मध्य प्रदेश: हर साल, मध्य प्रदेश और आस-पास के हज़ारों छात्र एक सपना देखते हैं — एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन, कम फीस में अच्छी पढ़ाई और एक सुरक्षित भविष्य की गारंटी। इसी सपने को लेकर छात्र शिवपुरी के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (UIT), RGPV में एडमिशन लेते हैं। लेकिन क्या ये सपना हकीकत में बदल रहा है, या फिर एक डरावने अनुभव में?

2025 में जब IT और AI जैसी फील्ड्स देश में उछाल पर हैं, तब मध्यप्रदेश के एक गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज UIT RGPV Shivpuri में हालात कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। हमने बात की वहाँ पढ़ रहे छात्रों से, और सामने आई एक चौंकाने वाली और दुखद सच्चाई।

Timely Bharat की इन्वेस्टीगेशन में कुछ छात्रों ने नाम न बताने की शर्त पर कॉलेज की जो तस्वीर पेश की है, वो चौंकाने वाली है. ये कहानी सिर्फ़ एक कॉलेज की नहीं, बल्कि उस सिस्टम पर एक बड़ा सवाल है जिस पर हज़ारों छात्रों का भविष्य टिका है।

UIT RGPV Shivpuri एडमिशन का ‘चक्रव्यूह’: वादे बड़े, हकीकत कोसों दूर?

छात्रों का आरोप है कि एडमिशन के समय उन्हें एक बेहतरीन कैंपस लाइफ का सपना दिखाया जाता है।हाई-टेक लैब्स, एयर-कंडीशंड क्लासरूम और बेहतरीन सुविधाओं के वादे किए जाते हैं।

एक छात्र ने बताया, “एडमिशन के वक्त तो सब अच्छा-अच्छा बताते हैं, पर अंदर आने के बाद सच्चाई पता चलती है. जब हम सुविधाओं के बारे में पूछते हैं, तो प्रशासन सुनने को तैयार नहीं, उल्टा फाइन लगाने की धमकी दी जाती है।”

सबसे हैरान करने वाली बात एडमिशन प्रक्रिया को लेकर है। दावा है कि कॉलेज JEE क्वालिफाइड छात्रों को प्राथमिकता देता है, लेकिन छात्रों का आरोप है कि यहाँ 5 पर्सेंटाइल वाले को भी Computer Science जैसी टॉप ब्रांच आसानी से दे दी जाती है, जो पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है।

UIT RGPV Shivpuri कैंपस की हकीकत: न लैब, न ग्राउंड, न सुरक्षा?

कैंपस के अंदर की असलियत वादों से बिलकुल अलग बताई जा रही है। छात्रों ने जो लिस्ट हमें दी है, वो किसी भी सरकारी संस्थान के लिए चिंता का विषय है।

  • लैब का हाल: छात्रों का आरोप है कि मशीन लर्निंग और AI के इस दौर में भी कॉलेज में कोई हाई-टेक लैब नहीं है।
  • क्लासरूम: एयर-कंडीशंड क्लासरूम तो दूर, बेसिक सुविधाओं का भी अभाव है।
  • खेलकूद: खेलने के लिए कोई ढंग का ग्राउंड तक मौजूद नहीं है।
  • माहौल और सुरक्षा: सबसे गंभीर आरोप कैंपस के आसपास के माहौल को लेकर हैं। छात्रों का कहना है कि आसपास का इलाका बिलकुल सुनसान है, कोई ढंग का बाज़ार नहीं है और स्थानीय लोगों से झगड़े का डर बना रहता है। एक छात्र ने कहा, “कोई भी लोकल आकर आपको पीट सकता है और प्रशासन कोई एक्शन नहीं लेगा।”

पढ़ाई का ‘Performance’: कैसी है Faculty?

किसी भी शिक्षण संस्थान की आत्मा उसकी फैकल्टी होती है। लेकिन यहाँ भी छात्रों के अनुभव बेहद निराशाजनक हैं।

आरोप है कि ज़्यादातर फैकल्टी अनुभवी नहीं है और उन्हें 20-30 हज़ार रुपये की सैलरी पर स्थानीय स्तर पर ही रखा गया है। एक छात्र ने जो बताया, वो सबसे ज़्यादा चौंकाने वाला है, “सोचिए ज़रा, यहाँ मशीन लर्निंग जैसा मुश्किल subject वो faculty पढ़ा रही है, जिसने खुद कभी एक लाइन का कोड नहीं लिखा है। हम अपना भविष्य कैसे बनायेंगे?”

UIT RGPV Shivpuri Placement का सच: 4 साल बाद 15,000 की नौकरी?

UIT RGPV Shivpuri का कड़वा सच: क्या सरकारी कॉलेज के नाम पर छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़?
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इंजीनियरिंग की डिग्री का सबसे बड़ा मकसद एक अच्छी नौकरी होता है. लेकिन छात्रों के मुताबिक, UIT RGPV शिवपुरी में प्लेसमेंट एक मज़ाक बनकर रह गया है। यह बैनर पर तो 100 पर्सेंट Placement लिखवाएंगे पर placement होता है, ना के बराबर।

उनका दावा है कि कैंपस सिलेक्शन के लिए कोई बड़ी कंपनी नहीं आती। साल में सिर्फ़ 2-3 लोकल कंपनियां आती हैं जो ₹15,000 से ₹16,000 प्रति माह की सैलरी ऑफर करती हैं। 4 साल की कड़ी मेहनत और लाखों रुपये खर्च करने के बाद अगर ये नतीजा मिले, तो इसे क्या कहेंगे?

आसपास का माहौल: न सुरक्षा, न बाजार

कुछ ही दिन पहले कॉलेज के पास का माहौल और भी डरावना हो गया। कॉलेज से बिल्कुल सटा हुआ पुलिस थाना है, फिर भी शिवपुरी के कुछ लोकल लोगों ने पुलिस थाने के सामने ही छात्रों पर हमला किया। कुछ स्टूडेंट्स के हाथ और सिर फोड़ दिए गए, और हमलावर आराम से चले भी गए — बिना किसी डर के। हैरानी की बात ये रही कि इस हमले के बाद भी न कॉलेज प्रशासन ने कोई स्टैंड लिया, न ही पुलिस ने तुरंत कोई कार्रवाई की

जब गुस्साए और डरे हुए स्टूडेंट्स ने कहा कि “अब हम कॉलेज का गेट तब तक नहीं खोलेंगे जब तक हमें इंसाफ नहीं मिलेगा”, तब जाकर मामला थोड़ा उठा। छात्रों ने कॉलेज गेट अंदर से लॉक कर दिया और साफ कहा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो कल कोई भी आकर हमें मार कर चला जाएगा। तब पुलिस ने आकर आश्वासन दिया कि वो FIR दर्ज करेंगे, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

सबसे शर्मनाक बात ये थी कि कॉलेज डायरेक्टर या कोई भी जिम्मेदार अफसर ये तक पूछने नहीं आया कि हमारे छात्र सुरक्षित हैं या नहीं, उन्हें चोट लगी या नहीं। ऐसे में सवाल ये उठता है — क्या हमारी सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी कॉलेज की नहीं है? क्या हम सिर्फ फीस भरने वाली मशीनें हैं?

Conclusion: छात्रों के लिए सलाह और बड़ा सवाल

नाम न बताने की शर्त पर छात्रों ने भविष्य के स्टूडेंट्स के लिए एक सीधी सलाह दी है — “यहाँ एडमिशन लेने से पहले हज़ार बार सोचें। इससे बेहतर है कि इंदौर या भोपाल के किसी प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन ले लें। अगर आप OBC, SC या ST कैटेगरी से हैं तो आपको स्कॉलरशिप मिल जाएगी, जिससे फीस की चिंता भी कम हो जाएगी।”

ये आरोप बेहद गंभीर हैं और RGPV भोपाल के मुख्य प्रशासन पर बड़े सवाल खड़े करते हैं। क्या प्रशासन को अपने शिवपुरी कैंपस की इन ख़ामियों की जानकारी नहीं है? या फिर जान-बूझकर छात्रों के भविष्य को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है? Timely Bharat की टीम उम्मीद करती है कि इस रिपोर्ट के बाद संबंधित अधिकारी इन आरोपों की निष्पक्ष जांच करेंगे और छात्रों को एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य देने के लिए ज़रूरी कदम उठाएंगे।

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